नया आयकर विधेयक कैबिनेट द्वारा पारित किया गया, जाने इसके बारे में विस्तार से

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने आज नई आयकर विधेयक को मंजूरी दे दी, जो संसद में अगले हफ्ते बजट सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम का स्थान लेगा और इसका उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को सरल बनाना, अनिश्चितताओं को समाप्त करना और कानूनी विवादों को न्यूनतम करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने आज नई आयकर विधेयक को मंजूरी दे दी, जो संसद में अगले हफ्ते बजट सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम का स्थान लेगा और इसका उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को सरल बनाना,

नई आयकर विधेयक का उद्देश्य

इस विधेयक का उद्देश्य आयकर व्यवस्था को और अधिक सरल और पारदर्शी बनाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को संसद में पेश करने का ऐलान किया और कहा कि यह विधेयक उन करदाताओं के लिए स्पष्टता प्रदान करेगा जिनका सामना कानूनी विवादों से होता है। विधेयक में टैक्स निर्धारण प्रक्रिया को सरल और समझने योग्य बनाने का प्रयास किया गया है, जिससे आयकर के संबंध में विवादों की संभावना कम हो सके।

वित्त मंत्री की घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, 2024 को अपने बजट भाषण में यह घोषणा की थी कि आयकर अधिनियम, 1961 की पूरी समीक्षा की जाएगी और इसे छह महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि नया कानून सीधा, स्पष्ट और समझने में आसान होगा। 1 फरवरी, 2025 को अपने बजट भाषण में उन्होंने इस विधेयक को संसद में पेश करने का भरोसा दिया।

नई आयकर विधेयक में क्या बदलाव होंगे?

इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं। इसका मुख्य उद्देश्य आयकर कानून को सामान्य नागरिकों के लिए अधिक समझने योग्य बनाना है। सरकार आयकर अधिनियम की लंबाई को आधे से कम करने और भाषा को सरल बनाने की योजना बना रही है, ताकि करदाता अपने कर दायित्वों को स्पष्ट रूप से समझ सकें। इसका परिणाम यह होगा कि कम कानूनी विवाद होंगे और विवादित कर मांगों में कमी आएगी।

कानूनी भाषा को सरल और संक्षिप्त बनाना

वर्तमान आयकर अधिनियम में 298 धाराएं और 23 अध्याय हैं, जो वर्षों में विभिन्न संशोधनों से जटिल हो गए हैं। नए विधेयक में इन जटिल धाराओं और अव्यावहारिक संशोधनों को हटाने की योजना है। इसका उद्देश्य आम जनता के लिए इसे समझने योग्य बनाना है, ताकि उन्हें पेशेवर कर सलाहकारों की आवश्यकता न पड़े।

क्यों आवश्यक है आयकर अधिनियम की समीक्षा?

1961 में स्थापित आयकर अधिनियम अब समाज में हुए महत्वपूर्ण बदलावों को नहीं दर्शाता। समाज में व्यक्तिगत आय उत्पन्न करने और व्यापार संचालन के तरीके बदल गए हैं, और तकनीकी प्रगति ने कर भुगतान और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रियाओं को सरल बना दिया है। मौजूदा कानून में अनेकों संशोधन किए गए हैं, जिसके कारण यह अब काफी जटिल और अप्रासंगिक हो चुका है।

क्या नया आयकर विधेयक सामान्य आदमी के लिए कर बोझ बढ़ाएगा?

इस नए विधेयक का उद्देश्य आयकर दरों में कोई बड़ा बदलाव करना नहीं है, बल्कि इसका मुख्य ध्यान कर प्रणाली को सरल और समझने में आसान बनाना है। यह विधेयक करदाताओं के लिए एक राजस्व-न्यूट्रल तरीके से लागू किया जाएगा, जिसका उद्देश्य केवल कर अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। इस विधेयक के माध्यम से कर दरों में कोई बड़े बदलाव की संभावना नहीं है, क्योंकि आमतौर पर कर दरों में बदलाव वित्त अधिनियम के माध्यम से किया जाता है, जो प्रत्येक वर्ष के बजट में पेश किया जाता है।    source-TOI

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