दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: 27 साल बाद भाजपा को मिली 48 सीटों पर एतिहासिक जीत

2025 दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 48 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की, 27 साल बाद पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला। आम आदमी पार्टी (AAP) को 22 सीटें मिलीं और कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। भाजपा की मजबूत चुनावी रणनीतियों, मोदी के वादों और केजरीवाल पर हमलों ने पार्टी को 71% स्ट्राइक रेट दिलाया। AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ, और भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के बदलाव से दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ दिया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: 27 साल बाद भाजपा को मिली 48 सीटों पर एतिहासिक जीत
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा की ऐतिहासिक जीत

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया है। भाजपा ने इस चुनाव में 27 साल बाद स्पष्ट बहुमत हासिल किया, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) की उम्मीदों को करारा झटका लगा। भाजपा ने 48 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि AAP को केवल 22 सीटें मिलीं। इसने दिखाया कि दिल्ली में भाजपा का प्रभाव बढ़ा है और पार्टी की रणनीतियां सफल रही हैं।

भाजपा और AAP का वोट शेयर तुलना

दिल्ली में भाजपा को AAP से 3.6% ज्यादा वोट मिले, जिसके चलते पार्टी को 26 सीटों का फायदा हुआ। भाजपा ने पिछली बार (2020) केवल 8 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार उनका स्ट्राइक रेट 71% रहा और पार्टी ने 40 सीटों में वृद्धि की। दूसरी ओर, AAP को लगभग 10% का नुकसान हुआ, और उसका स्ट्राइक रेट केवल 31% रहा। कांग्रेस ने इस चुनाव में कोई भी सीट नहीं जीती, लेकिन पार्टी का वोट शेयर 2% बढ़ा है, जो एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।

भाजपा का इतिहास और 2025 का प्रदर्शन

1993 में भाजपा ने दिल्ली में 49 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन उसके बाद 1998 से कांग्रेस ने 15 वर्षों तक शासन किया। 2013 से आम आदमी पार्टी की सरकार रही, लेकिन 2025 में भाजपा ने फिर से अपनी मजबूत पकड़ बनाई। इस बार भाजपा ने 68 सीटों में से 48 सीटें जीतीं, जो एक ऐतिहासिक जीत साबित हुई। वहीं, AAP को नुकसान हुआ और उसे 40 सीटों का झटका लगा।

दिल्ली चुनाव के दिलचस्प तथ्य

दिल्ली चुनाव के परिणाम कई दिलचस्प तथ्यों से भरे रहे। 2020 में भाजपा ने सिर्फ 8 सीटें जीती थीं, लेकिन अब वह 48 सीटों तक पहुंच गई है। खासतौर पर, केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर 20 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। वहीं, कांग्रेस के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई। भाजपा के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे, प्रवेश वर्मा और हरीश खुराना ने चुनाव जीतकर इतिहास रचा।

हार की बड़ी वजहें: केजरीवाल के खिलाफ मोदी का चेहरा बनना

इस चुनाव की हार के मुख्य कारणों में से एक यह था कि भाजपा ने चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल बना दिया। मोदी ने अपनी व्यक्तिगत छवि को इस्तेमाल करते हुए, दिल्ली की जनता से मतदान की अपील की। इसके साथ ही, भाजपा ने केजरीवाल के खिलाफ कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए, जैसे भ्रष्टाचार के आरोप और सरकारी बंगले पर खर्च की गई रकम। भाजपा ने उन्हें “कट्टर बेईमान” कहा और उनके ऊपर कई आरोप लगाए, जिनका चुनाव परिणाम पर गहरा असर पड़ा।

केजरीवाल के खिलाफ भाजपा की रणनीतियाँ

भा.ज.पा. ने केजरीवाल की शराब नीति केस को प्रमुख मुद्दा बनाया, जिसमें केजरीवाल 177 दिन जेल में रहे। इस मुद्दे को भाजपा ने चुनावी प्रचार में प्रमुख स्थान दिया। इसके साथ ही, केजरीवाल के 45 करोड़ रुपये में बंगले का रेनोवेशन भी भाजपा के निशाने पर था।

महिलाओं और बुजुर्गों के लिए मोदी का ऐलान

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली चुनाव से पहले महिलाओं और बुजुर्गों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया और 60-70 वर्ष के बुजुर्गों के लिए भी आर्थिक मदद का प्रस्ताव रखा। यह एक ऐसी रणनीति थी जो दिल्ली के मिडिल क्लास और बुजुर्गों को आकर्षित करने में सफल रही।

भाजपा के उम्मीदवारों में बदलाव

इस चुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवारों को बदलने की रणनीति अपनाई। पार्टी ने कुल 68 उम्मीदवारों में से 46 को बदल दिया, यानी कुल 67 प्रतिशत कैंडिडेट बदले। यह भाजपा की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा था, और इस बदलाव ने पार्टी को दिल्ली में एक नई दिशा दी।

इस तरह, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 ने न केवल भाजपा की जीत को दर्ज किया, बल्कि कई दिलचस्प रणनीतियों और बदलावों को भी सामने लाया।

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