भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: अमेरिका के व्यापार निर्णयों और विदेशी निकासी का असर

हाल ही में भारतीय शेयर बाजार, विशेष रूप से BSE सेंसक्स और निफ्टी50, में 3% की गिरावट आई है, जिसके कारण निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। पिछले पांच कारोबारी सत्रों में कुल 16.97 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। इसका मुख्य कारण अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% शुल्क बढ़ाने का फैसला, विदेशी निवेशकों द्वारा निकासी, और घरेलू आर्थिक चिंताएं हैं। ट्रंप के व्यापारिक निर्णयों ने वैश्विक व्यापार संघर्ष की आशंका को जन्म दिया, जिससे भारतीय बाजार में अस्थिरता आई। इसके साथ ही, फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल के बयान और अमेरिकी मुद्रास्फीति पर बढ़ती चिंता भी बाजार को प्रभावित कर रही है। इसके अलावा, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा भी इस समय व्यापारिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: अमेरिका के व्यापार निर्णयों और विदेशी निकासी का असर
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भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट

ये निम्नलिखित पॉइंट को ध्यान से समझे :-

  • BSE सेंसक्स और निफ्टी50 में भारी गिरावट: भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक, BSE सेंसक्स और निफ्टी50 ने पिछले पांच कारोबारी सत्रों में लगभग 3% की गिरावट दर्ज की है। इस दौरान इन सूचकांकों में महत्वपूर्ण कंपनियों के शेयर नकारात्मक रुझान दिखा रहे थे, जिससे बाजार में भारी बिकवाली का माहौल बना। इस गिरावट को “ब्लडबैथ” कहा जा रहा है, जिसमें प्रमुख स्टॉक्स में लगातार गिरावट देखने को मिली।

  • घरेलू कमाई और अमेरिकी व्यापार नीति का असर: घरेलू कंपनियों की कम आय रिपोर्ट्स और अमेरिकी व्यापार नीति में असमंजस ने भारतीय शेयर बाजार की धारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया। खासकर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार भारतीय बाजार से पूंजी की निकासी और अमेरिका के व्यापार शुल्क बढ़ाने के निर्णय ने बाजार में निराशा फैलाई। इससे निवेशकों के बीच घबराहट और बेचैनी का माहौल बना।

  • पाँच सत्रों में 16.97 लाख करोड़ रुपये का नुकसान: पिछले पांच सत्रों में भारतीय बाजार के निवेशकों को कुल 16.97 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह गिरावट विदेशी निवेशकों के बाजार से पैसा निकालने और अमेरिकी व्यापार नीति के कारण आई अनिश्चितता के चलते हुई। यह नुकसान खासकर उन कंपनियों में देखा गया जो घरेलू और वैश्विक व्यापार से संबंधित हैं। इस गिरावट ने बाजार का कुल मूल्य घटा दिया, जिससे निवेशकों की संपत्ति पर सीधा असर पड़ा।

  • अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम शुल्क में वृद्धि: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो स्टील और एल्यूमिनियम के आयात पर लागू होगा। यह कदम 4 मार्च से प्रभावी होगा। ट्रंप के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना था, लेकिन इसके परिणामस्वरूप वैश्विक व्यापार संघर्ष का खतरा बढ़ गया है। अमेरिका के इस निर्णय का सबसे अधिक असर उन देशों पर पड़ेगा जो पहले इस शुल्क से मुक्त थे, जैसे कि कनाडा, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, और मेक्सिको। भारत, जो स्टील का एक प्रमुख उत्पादक नहीं है, एल्यूमिनियम का बड़ा उत्पादक है, इस निर्णय से प्रभावित हो सकता है क्योंकि भारत अमेरिका को बड़ा एल्यूमिनियम निर्यातक है।

  • फेडरल रिजर्व के चेयरमैन पॉवेल का भाषण: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन, जेरेमी पॉवेल, जो जल्द ही अमेरिकी संसद की समिति को संबोधित करेंगे, उनके भाषण को लेकर निवेशक और व्यापारी सतर्क हैं। उनके बयान में व्यापार शुल्क और मुद्रास्फीति पर टिप्पणी निवेशकों को यह समझने में मदद करेगी कि अमेरिकी मौद्रिक नीति भविष्य में किस दिशा में जाएगी। ये बयान अमेरिकी बाजारों और विश्वभर के उभरते बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।

  • विदेशी निवेश की निकासी: इस साल के प्रारंभ से अब तक, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग 9.94 बिलियन डॉलर (लगभग 80,000 करोड़ रुपये) की निकासी की है। विदेशी निवेशक बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ा है। यह निकासी अमेरिकी निवेशों की ओर बढ़ी हुई ब्याज दरों और डॉलर की मजबूती के कारण हो रही है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय शेयर बाजार पर अतिरिक्त नकारात्मक दबाव पड़ा है।

  • यील्ड्स और डॉलर का प्रभाव: अमेरिकी 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड 4.495% पर पहुँच गई है, जबकि 2-वर्षीय यील्ड 4.281% है। अमेरिकी डॉलर का प्रदर्शन भी मजबूत है, जो 108.36 पर पहुंच चुका है। इससे विदेशी पूंजी प्रवाह प्रभावित हो रहा है क्योंकि निवेशक अधिक आकर्षक अमेरिकी बांड्स में निवेश कर रहे हैं, जबकि भारतीय जैसे उभरते बाजारों में पूंजी का बहाव घट रहा है। इसके कारण भारतीय बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।

  • भारत पर अमेरिकी शुल्क का असर: ट्रंप द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए नए शुल्क का सबसे अधिक असर उन देशों पर पड़ेगा जो अमेरिका को इन उत्पादों का निर्यात करते हैं। हालांकि, भारत स्टील का बड़ा निर्यातक नहीं है, लेकिन वह एल्यूमिनियम का प्रमुख उत्पादक है। ट्रंप के निर्णय से भारत को नुकसान हो सकता है, क्योंकि उसे अमेरिकी बाजार में अपनी बिक्री कम होने का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय कंपनियाँ जैसे वेदांता और हिंडाल्को को यह नुकसान सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है। हालांकि, ये कंपनियाँ अन्य बाजारों की ओर रुख कर सकती हैं, लेकिन यह समय लेने वाली प्रक्रिया होगी।

  • प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका दौरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं, और यह दौरा दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को और अधिक मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। हालाँकि, इस दौरे से पहले ही दोनों देशों के बीच व्यापार शुल्क को लेकर तनाव बढ़ चुका है। प्रधानमंत्री मोदी इस बैठक में यह उम्मीद जताते हैं कि यह सहयोग और साझेदारी को और गहरा करने का अवसर होगा।

  • ट्रम्प का व्यापारिक दृष्टिकोण: ट्रंप ने भारत को व्यापार में अत्यधिक शुल्क लगाने वाला देश बताया है। उन्होंने भारतीय उत्पादों पर शुल्क को बढ़ावा देने की आलोचना की और इसे अमेरिका के हितों के खिलाफ बताया। इसको देखते हुए, भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर कुछ शुल्क कम किया है, जैसे कि उच्च-स्तरीय मोटरसाइकिल और कारों पर शुल्क। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ट्रंप के शुल्क वृद्धि के जवाब के रूप में नहीं बताया, बल्कि इसे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक कदम बताया।

इस प्रकार, अमेरिका द्वारा उठाए गए व्यापार शुल्क और विदेशी पूंजी की निकासी जैसे कारक भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे बाजार में भारी गिरावट आई है।

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